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अकबर बीरबल के किस्से - भाग 48

मुल्ला और अखरोट का पेड़


एक दिन मुल्ला एक अखरोट के पेड़ ने नीचे बैठा हुआ था तो क्या देखता है थोड़ी दूर पर एक तरबूज की बेल खेत में लगी हुई है। मुल्ला के दिमाग में उसी समय एक सवाल ने दस्तक दी। मुल्ला ने भगवान से कहा माफ़ कीजिये लेकिन मैं ये पूछना चाहूँगा और ऊपर देखते हुए मुल्ला ने कहा कि कमाल है कितनी अजीब बात है भगवान की अपने इतना बड़ा पेड़ बनाया है जिस पर तो छोटे छोटे अखरोट लगे है। लेकिन एक बड़ा तरबूज एक पतली सी बेल के साथ लगा हुआ है लगता है आप में समझ की थोड़ी कमी है। क्या कोई और रास्ता नहीं हो सकता था।

मुल्ला ये कह ही रहा था कि थोड़ी देर में तेज हवा चली और एक अखरोट पेड़ से टूटकर मुल्ला के सिर पर गिरा और और मुल्ला ने कहा ‘आह’ मुझे लगता है ये प्रकृति कितनी सही है अगर ऐसा होता कि तरबूज उस बेल की जगह इस पेड़ पर लगा होता तो संभव था कि इतने ऊंचे से मेरे सिर पर इसके गिरने से मेरी मौत हो जाती। इसलिए मैं जितना सोचता हूँ प्रकृति वैसी तो नहीं है जो है वो सही है।

इस प्रकार हम भी जिन्दगी में बहुत सारी चीज़े होती है जिनको लेकर हम सवाल करते है कि ऐसा क्यों है जबकि प्रकृति कभी भी मुश्किलें पैसा नहीं करती और उसका व्यव्हार हर किसी के लिए सामंजस्य पूर्ण होता है जरुरत होती है तो केवल सजगता से जीने की।

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